Uttarakhand: पर्यावरण आंदोलनकारियों की आवाज़ पर सरकार ने दिया ध्यान
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में सरकार के पास वृक्षों की बलि ही अंतिम विकल्प बचा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पर्यावरण के लिए वृक्षों के महत्व को समझते हुए अब राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में ट्री ट्रांसप्लांट पॉलिसी को लागू करने जा रहा है।
लगभग 71 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड में सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के कार्यों में हर साल हजारों पेड़ विकास की भेंट चढ़ जाते हैं। चारधाम आलवेदर रोड परियोजना के निर्माण में भी हजारों पेड़ों का कटान हो चुका है। पर्यावरण आंदोलनकारी पेड़ों के कटान के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। उनकी आवाज ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय पर इस बार असर दिखाया है। मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को इस संबंध में पत्र भेजा है।
पत्र में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की बैठक का जिक्र किया गया है, जिसमें तय हुआ था कि राजमार्गों के निर्माण कार्यों में पेड़ों का कटान अंतिम विकल्प होगा। इसके स्थान पर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाएगा।
जिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर वन प्रशासन की ओर से पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी गई है, वहां भी पेड़ों को प्रत्यारोपण करने पर ध्यान दिया जाएगा।
सरकार से कहा गया है कि वह वन विभाग के सभी अधिकारियों को भी ट्री ट्रांसप्लांटेशन का कार्य करने के लिए कहे, जहां वाणिज्यक दृष्टि से पेड़ों का कटान हो रहा है जिससे स्थिति में ज्यादा फरक न पड़े।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा भी यह इशारा किया गया था कि मंत्रालय जल्द ही पेड़ों को काटने की जगह पर उन्हें ट्रांसप्लांट करने की नीति लागू करेगा। वह कुछ दिन पूर्व उत्तराखंड विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का घोषणापत्र करने के लिए देहरादून पहुंचे थे।