Uttarakhand: अब सभी बच्चे जानेंगे पहाड़ की भाषा , पढ़ाई शुरू होगी गढ़वाली और कुमाऊंनी में
गढ़वाली और कुमाऊंनी हमारी बोलियां होने के साथ-साथ हमारी संस्कृति की पहचान हैं। पलायन होने के कारण उत्तराखंड की बोली-भाषा पर भी बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। अब भले देर से ही सही परन्तु एनसीईआरटी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान गढ़वाली कुमाउनी भाषा को बचाने की मुहिम की शुरुआत कर दी है। इससे नौनिहालों को अपनी बोली-भाषा को जानने-समझने और बोलने का मौका मिलेगा। अब प्रदेश में पहली से चौथी कक्षा तक के छात्रों को एनसीईआरटी की किताबें गढ़वाली और कुमाऊंनी में मिलेंगी। यह नव व्यवस्था नए सत्र से लागू हो जाएगी।
एनसीईआरटी की पहल पर गढ़वाली तथा कुमाउनी भाषा को स्कूल के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा। जो कक्षा एक से चार तक के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाएगी। नए सत्र शुरू होने से पहले अनुवाद की गई किताबें विद्यालयों में उपलब्ध कराई जाएंगी। किताबों को गढ़वाली तथा कुमाऊंनी में अनुवाद करने के लिए 20 शिक्षकों को चुना गया है , साथ ही 100 वीडियो भी तैयार की जा रही है।