- याद-ए-दुर्गेश नूर मंच में अध्यक्ष के रूप में पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय
देहरादून। याद-ए-दुर्गेश नूर मंच की ओर से प्रेस क्लब में मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष के रूप में पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने शिरकत की एवं अपनी कविताओं के माध्यम से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। जिसकी सभी आये हुए लोगों ने भूरि-भूरि प्रंशसा की। मुशायरे के दौरान डॉ. बी. के. एस. संजय ने अपने सम्बोधन में कहा कि अनुभव पशु भी करते हैं पर अभिव्यक्ति की क्षमता मनुष्य में होती है। अभिव्यक्ति का माध्यम है वाणी और लेखन। सीखने के तीन ही तरीके हैं सुन के, देख के और कर के। जैसा समाज में साहित्य होगा वैसे ही लोग सुनेंगें, देखेंगे और करेंगे। समाज में यदि किसी तरह का बदलाव लाना है तो वह किसी भी व्यक्ति, समाज या देश के विचारों में बदलाव लाना होगा जैसा कि रामायण, गीता, गुरूग्रंथ, आगम, कुरान, बाइबिल, त्रिपिटक इत्यादि ग्रंथों ने किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. संजय ने कहा कि साहित्यकार, लेखक, कवियों एवं अन्य लोगों का योगदान समाज को बदलने में राजनेताओं से ज्यादा रहा है क्योंकि आखिरकार राजनेताओं को, अधिकारियों को और समाज के अन्य प्रभावशाली लोगों को बनाने में साहित्य का बड़ा योगदान रहा है। मेरा मानना है साहित्यकारों का योगदान अतुलनीय है और ठीक ही कहते है साहित्य, समाज का दर्पण है, सत्यम् शिवम सुंदरम्। डॉ. संजय ने कार्यक्रम के आयोजकों शायर रूबा बिजनौरी, अरूण कुमार भट्ट, राकेश जैन और संचालक शम्स तबरेज़ी एवं सभी सहयोगियों का अपनी काव्य-संग्रह ”उपहार सन्देश का” की कविता ‘सपने आपके और हमारे’ सुनाकर सभी का आभार प्रकट किया। इस मुशायरे कार्यक्रम के मुख्य शायरों में सलीम अमरोही, अमीर इमाम, शम्स तबरेज़ी, राकेश जैन राकेश, अरूण कुमार भट्ट, नईम राशिद, अना देहलवी, राजीब रियाज, गुलशन बिजनौरी, ब्रिगेडियर के.जी. बहल, अनिल अग्रवाल आदि ने प्रेस क्लब में अपनी-अपनी शायरी एवं गजलों की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मनमोहा।