चमोली ( प्रदीप लखेड़ा )
चारों धाम के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकालीन गद्दीस्थलों पर शीतकालीन पूजाएं भी मंगलवार से शुरू हो गई हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद नृसिंह मंदिर जोशीमठ व योग्ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर मंदिर में शीतकालीन पूजा होती है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को विधि विधान के साथ बंद कर दिए। अब बदरीनाथ धाम में छह माह नारायण की पूजा नारद जी करेंगे। वहीं नारायण के सखा उद्धव व कुबेर जी की पूजा पांडुकेश्वर के योगध्यान बदरी मंदिर में व जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में शंकराचार्य की गद्दी नारायण के स्वरूप श्री नृसिंह भगवान की पूजाएं होंगी।
पांडुकेश्वर के योगघ्यान बदरी मंदिर में शीतकालीन पूजाएं पुजारी परमेश्वर प्रसाद डिमरी व रामेश्वर प्रसाद डिमरी की ओर से संपन्न की जा रही हैं। वहीं जोशीमठ नृसिंह मंदिर में हनुमान डिमरी व सुशील डिमरी की ओर से पूजाएं संपंन्न की जा रही हैं। मंगलवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर में शीतकालीन पूजा में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ औली पहुंचे पर्यटकों भी पूजा में शामिल हुए।
बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने बताया कि मंगलवार से शीतकालीन पूजाएं योग्ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में पूजाएं शुरू हो गई हैं। इस दौरान स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ औली पहुंचे पर्यटक भी पूजा में शामिल हुए।