उत्तराखंड के पर्वतों के प्रोजेक्ट में राज्य के जिन गांवों से सीमा लगती हैं उन गांवों में बुनियादी सुविधाओं के विकास होने के साथ ही सड़कों का निर्माण भी करवाया जाएगा।
उत्तरखंड में केन्द्र सरकार की मदद से कई बड़ी परियोजनाएं धरातल पर उतर रही हैं
उत्तराखंड के लिए खास पर्वतमाला प्रोजेक्ट
पर्वतमाला प्रोजेक्ट की शुरुआत से उत्तराखंड में वर्षों से अटके रोपवे परियोजनाओं से हुआ बड़ा लाभ । बजट घोषणा से प्रदेश में आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में बड़ी राहत मिली है। वर्ष 2022-23 में लगभग 60 किलोमीटर की लंबाई वाली कुल आठ रोपवे परियोजनाओं के अनुबंध किए जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण और रखरखाव की दिक्कतों को देखते हुए रोपवे प्रोजेक्ट शुरू किए जाने की तयारी जोरो सोरो पैर है।
पर्वतमाला प्रोजेक्ट से रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ, चमोली जिले में गोविंदघाट-घांघरिया साथ उत्तराखंड में और 21-27 प्रोजेक्टों के धरातल पर उतरने की उम्मीद भी बढ़ी है। पर्वतमाला योजना से पहाड़ी राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन के आधुनिक साधनों की व्यवस्था की जाएगी, जिस से ताकि ट्रांसपोर्टेशन आसान हो सके। खासकर इस प्रोजेक्ट के तहत बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर विशेष फोकस किया गया है।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों से सड़क का सुरक्षित विकल्प निकलने से राज्य को काफिर फायदा हो सकता है। केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 में 20-25 हजार किलोमीटर नए राजमार्ग बनाने की घोषणा भी की गई है। इस घोषणा के बाद प्रदेश की सड़कों की स्थिति बेहतर होने या इनके राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने की उम्मीद बढ़ी है।
माना जा रहा है रोपवे प्रोजेक्टों की भी जगी उम्मीद
- चमोली में मंडल-अनसुया माता मंदिर,
- चोपता-तुंगनाथ और औली से गौरसों,
- टिहरी में जुराना-चंद्रबदनी,
- पौड़ी में हल्दूखाल-बूंगी देवी मंदिर,
- चमोली में कार्तिक स्वामी रोपवे परियोजना
- चंपावत में ठुलीगाड़ से पूर्णागिरी,
- उत्तरकाशी में बार्सू-मैठाणा-बरनाला-दयारा,
- श्रीनगर-पौड़ी, अल्मोड़ा-कसारदेवी,
- मुनस्यारी-खलियाटॉप,
- मुनिकीरेती-कुंजापुरी धाम,
- अल्मोड़ा में स्याही देवी से सैनार,
- चमोली में वाण से वेदनी बुग्याल,
- बागेश्वर में नीलेश्वर पर्वत से भीलेश्वर पर्वत,
- रुद्रप्रयाग में राऊलेक से कालीशिला, यमुनोत्री