देहरादून: मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के डॉक्टर्स ने एक 41 वर्षीय महिला की अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण बैरिएट्रिक सर्जरी को सफलतापूर्वक किया है। महिला का वजन 190 किलो था और वह किशोरावस्था से ही गंभीर मोटापे से पीड़ित थीं। इस जटिल सर्जरी का नेतृत्व डॉ. विशाल निधि कुलश्रेष्ठ, एसोसिएट डायरेक्टर – जीआई, एमएएस एवं बैरिएट्रिक सर्जरी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने किया।
मामले की जानकारी देते हुए डॉ. विशाल निधि कुलश्रेष्ठ ने कहा, “मरीज़ काफ़ी कम उम्र से ही ओवरवेट रही हैं और इनके परिवार में भी मोटापे की हिस्ट्री रही है, इनकी मॉं की भी पहले बैरिएट्रिक सर्जरी हो चुकी है। यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि मरीज का लिवर काफी बड़ा था, इसने सर्जरी को और जटिल बना दिया। हमने लेप्रोस्कोपिक वन एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बायपास, जिसे मिनी गैस्ट्रिक बायपास भी कहा जाता है, तकनीक का उपयोग किया। जिसमें पेट का आकार छोटा कर दिया जाता है और उसे सीधा छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है। जिससे पेट और छोटी आंत के ऊपरी हिस्से का एक भाग बाईपास हो जाता है। इस प्रक्रिया से भोजन की मात्रा सीमित हो जाती है, जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है।सर्जरी लगभग छह घंटे तक चली और ऑपरेशन के तीसरे दिन ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।
डॉ. कुलश्रेष्ठ ने आगे बताया कि “पहले ही हफ्ते में मरीज ने लगभग 10 किलो वजन कम कर लिया। और हमें उम्मीद है कि आने वाले 6 महीनों में उनका वजन घटकर 80 किलो से कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सर्जरी केवल वजन घटाने के लिए नहीं, बल्कि मेटाबोलिक सर्जरी के तौर पर की जाती है, जिसमें पेट का आकार कम किया जाता है और आंतों का एक हिस्सा बायपास किया जाता है, जिससे भोजन की मात्रा और उसका अवशोषण दोनों कम हो जाते हैं। सर्जरी के बाद मरीज को बैरिएट्रिक डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव अपनाना होता है।
मोटापा का संबंध हमारे खानपान और जीवनशैली से जुड़ा हुआ है। भारतीय आहार में कार्बोहाइड्रेट अधिक और प्रोटीन की मात्रा कम होती है। यही कारण है कि मोटापा बढ़ता है और फिर वह एक दुष्चक्र बन जाता है – जहां शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है, मानसिक तनाव बढ़ता है और व्यक्ति खाने में ही सांत्वना ढूंढता है। बैरिएट्रिक सर्जरी इस चक्र को तोड़ने का सबसे सफल और सुरक्षित तरीका है।
 
					
 
		 
		 
		