गंगोत्री और नीलकंठ की ओर “बम-बम भोले” के जयकारों के साथ बढ़ रही यात्रा

 टिहरी।  श्रावण मास में शिवभक्तों की आस्था और उत्साह से सराबोर कांवड़ यात्रा अब अपने दूसरे चरण में प्रवेश कर चुकी है। गंगोत्री और नीलकंठ धाम की ओर “बम-बम भोले” के जयघोष के साथ कांवड़ यात्रा जनपद टिहरी गढ़वाल से होकर आगे बढ़ रही है। इस चरण में यात्रा में शामिल पैदल कांवड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं डाक कांवड़ियों के वाहनों का भी सिलसिला तेज हो गया है।
गंगोत्री से गंगाजल भरकर लौट रहे पैदल कांवड़िए जहां एक ओर यात्रा के अनुभव साझा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टिहरी जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की खुले मन से प्रशंसा कर रहे हैं। पैदल कांवड़िए बार-बार डाक कांवड़ियों से अपील कर रहे हैं कि वे यात्रा मार्ग पर शांति बनाए रखें और सभी श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करें।
जिला प्रशासन ने यात्रा को सुव्यवस्थित, सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए हर स्तर पर तैयारियां सुनिश्चित की हैं। कांवड़ मार्ग पर साइनेज, रूट डायवर्जन, डिवाइडर, पार्किंग व्यवस्था, कूड़ेदान, मोबाइल टॉयलेट, स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाओं ने श्रद्धालुओं को बड़ी राहत दी है। लक्ष्मण झूला, राम झूला, चंद्रभागा तिराहा और भद्रकाली तिराहा जैसे प्रमुख बिंदुओं पर लगाए गए पुलिस कैनोपी पॉइंट्स से लगातार कांवड़ियों को मार्गदर्शन और सहायता दी जा रही है।

कांवड़ यात्रा पहुंची दूसरे चरण में, व्यवस्था से संतुष्ट दिखे श्रद्धालु

 

ट्रैफिक नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन भी लगातार सतर्क है। नो पार्किंग जोन में खड़ी गाड़ियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था उत्पन्न न हो।
गोमुख से जल भरकर लौट रहे फरीदाबाद निवासी जितेंद्र नागर ने बताया कि उत्तरकाशी से लेकर टिहरी जिले तक उन्हें प्रशासनिक व्यवस्थाएं पूरी तरह सुचारू रूप से धरातल पर दिखीं। उन्होंने कहा कि इस बार गंगोत्री में पहले की अपेक्षा कहीं अधिक संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं और पूरे यात्रा मार्ग पर शौचालय, पेयजल, होटलों में स्पष्ट रेट लिस्ट जैसी सुविधाएं देखने को मिलीं।
इसी तरह, अलवर से आए शिवराम की कांवड़ टोली ने भी टिहरी जिले की व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि प्रशासन का पूरा सहयोग मिला और सभी मार्गों पर सटीक जानकारी व सहायता उपलब्ध कराई गई। उन्होंने सभी कांवड़ियों से अपील की कि वे संयमित और अनुशासित ढंग से यात्रा करें और गंगाजल भरने की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाए रखें।
कांवड़ यात्रा के इस दूसरे चरण में टिहरी प्रशासन द्वारा किए गए समन्वित प्रयास और तीर्थयात्रियों के सहयोग से यह धार्मिक यात्रा श्रद्धा, सुरक्षा और व्यवस्था के अनूठे समन्वय का उदाहरण बनती जा रही है।

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